तोड़ लिया उसे डाली से
पूछी ना कभी गुल की भी रज़ा
शाखों से जुदा कर के इनको
फूलों को क्यूँ देते हो सज़ा
ये दर्द जुदाई का जाने
कैसे वो सहता होगा
दिल फट जाता होगा उसका
जब यूँ तन्हा रहता होगा
तोड़ लिया जब जी चाहा
उसे बालों में सजाने को
जी चाहा फिर फेंक दिया
उसे पैर तले दब जाने को
फूल जो अपने यौवन की
दहलीज़ पे ही मिट जाता है
हर दर्द खिज़ा का सहता है
फिर भी गुलशन महकता है
शाखों पे हो या बालों में
फूलों का यही फसाना है
इन्हें कांटों में ही जीना है
इन्हें काटों में मर जाना है।।
©Anoop Jadon
#Rose