झरने सा कल-कल बहना,
ऐसे ही निश्छल रहना,
निर्मल मन श्रृंगार तेरा,
ज्ञान शील तेरा गहना,
सीप में मोती जैसा दिल,
प्रेमपूर्ण बातें कहना,
अपनी मीठी बातों से,
मन की पीड़ा दुःख हरना,
रखो हौसले को जिन्दा,
कभी किसी से ना डरना,
बचना सदा बुराई से,
कर्म का फल पड़ता भरना,
सच का देना साथ सदा,
झूठ के पीछे मत पड़ना,
दीपक बन जलना 'गुंजन',
अंधकार से तुम लड़ना,
--शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
कोच्चि केरल
©Shashi Bhushan Mishra