किस्मत किस्मत तूने भी क्या नाच नचाया उम्र गुज़र गई | हिंदी कविता

"किस्मत किस्मत तूने भी क्या नाच नचाया उम्र गुज़र गई मगर आज भी हम बेचारों पर तुझे, तरस न आया कठपुतली तेरे हाथों की खुल कर सांस लेना भी हमें न आया क्या मिला तुझे ज़रा बता मुझे तार तार कर के रख दी हमारी काया घुट घुट कर सूख गए कर ही दिया तूने हमें ख़ुद से पराया! खड़े हैं मंझधार में साथ देने कोई भी नहीं आया! क्या तूने खेल रचाया"

 किस्मत किस्मत तूने भी क्या नाच नचाया
उम्र गुज़र गई मगर आज भी
 हम बेचारों पर तुझे, तरस न आया
कठपुतली तेरे हाथों की
खुल कर सांस लेना भी हमें न आया
क्या मिला तुझे ज़रा बता मुझे
तार तार कर के रख दी हमारी काया
घुट घुट कर सूख गए
कर ही दिया तूने हमें ख़ुद से पराया!
खड़े हैं मंझधार में
साथ देने कोई भी नहीं आया!
क्या तूने खेल रचाया

किस्मत किस्मत तूने भी क्या नाच नचाया उम्र गुज़र गई मगर आज भी हम बेचारों पर तुझे, तरस न आया कठपुतली तेरे हाथों की खुल कर सांस लेना भी हमें न आया क्या मिला तुझे ज़रा बता मुझे तार तार कर के रख दी हमारी काया घुट घुट कर सूख गए कर ही दिया तूने हमें ख़ुद से पराया! खड़े हैं मंझधार में साथ देने कोई भी नहीं आया! क्या तूने खेल रचाया

किस्मत....

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