"ना ही उम्मीदें रहेंगी अब और ना ही शिकायतें,
खामोश रहकर ही याद करूंगा तुम्हारी सारी बातें।।
खामोशी के बादल कुछ ऐसे छाएंगे,
की बातों की हल्की सी धूप को भी तरसेंगी तुम्हारी आंखें ।।"
ना ही उम्मीदें रहेंगी अब और ना ही शिकायतें,
खामोश रहकर ही याद करूंगा तुम्हारी सारी बातें।।
खामोशी के बादल कुछ ऐसे छाएंगे,
की बातों की हल्की सी धूप को भी तरसेंगी तुम्हारी आंखें ।।