आज इलाक़े में हुए बारिश के बाद एक किसान का दर्द गज़ल | हिंदी Shayari

"आज इलाक़े में हुए बारिश के बाद एक किसान का दर्द गज़ल के अंदाज में ------------------------------------------- उफ्फ़! ये कैसा इम्तहान है, पानी से लबालब खलिहान है। पहले कोरोना का कहर, अब मौसम से परेशान हैं। कभी आँधी,कभी पानी,कभी पत्थर, कभी बिजली के साथ चल रहा तूफ़ान है। मालूम नहीं रब हमसे क्या चाहता है, तबाही की चक्की में पीस रहा किसान है। किसी की भूख मिटाने की सज़ा अग़र यही है, तो ले इन अनाजों के लिए जान भी कुर्बान है... ✍️विनय कुमार सिंह #Experimentbinay"

 आज इलाक़े में हुए बारिश के बाद
एक किसान का दर्द गज़ल के अंदाज में
-------------------------------------------

उफ्फ़! ये कैसा इम्तहान है,
पानी से लबालब खलिहान है।

पहले कोरोना का कहर,
अब मौसम से परेशान हैं।

कभी आँधी,कभी पानी,कभी पत्थर,
कभी बिजली के साथ चल रहा तूफ़ान है।

मालूम नहीं रब हमसे क्या चाहता है,
तबाही की चक्की में पीस रहा किसान है।

किसी की भूख मिटाने की सज़ा अग़र यही है,
तो ले इन अनाजों के लिए जान भी कुर्बान है...
                      ✍️विनय कुमार सिंह
                       #Experimentbinay

आज इलाक़े में हुए बारिश के बाद एक किसान का दर्द गज़ल के अंदाज में ------------------------------------------- उफ्फ़! ये कैसा इम्तहान है, पानी से लबालब खलिहान है। पहले कोरोना का कहर, अब मौसम से परेशान हैं। कभी आँधी,कभी पानी,कभी पत्थर, कभी बिजली के साथ चल रहा तूफ़ान है। मालूम नहीं रब हमसे क्या चाहता है, तबाही की चक्की में पीस रहा किसान है। किसी की भूख मिटाने की सज़ा अग़र यही है, तो ले इन अनाजों के लिए जान भी कुर्बान है... ✍️विनय कुमार सिंह #Experimentbinay

#river ,#Experimentbinay

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