"जो ख्वाब देखा था
मैंने अपने सपनों में,,
वो हकीकत से रूबरू
ना हुआ,, जो इश्क मुक्मबल
ना हुआ तो ,, क्या हुआ?
उसने
रूह तक छू लिया था
मुझे।।
मेरी मोहब्बत को
पाकीजा नाम दिया था
उसने।"
जो ख्वाब देखा था
मैंने अपने सपनों में,,
वो हकीकत से रूबरू
ना हुआ,, जो इश्क मुक्मबल
ना हुआ तो ,, क्या हुआ?
उसने
रूह तक छू लिया था
मुझे।।
मेरी मोहब्बत को
पाकीजा नाम दिया था
उसने।