कुछ एक रंग आबाद है बचे सब रंग बर्बाद हैं,
बहुत कम होती, यहाँ फुलों की बरसात हैं,
काँटों भरे गलिचे मिलते राहों में हर बार हैं,
जिंदगी को जीने के तरीके भी सबके खास है।
कुछ ख़ुद को ऱोक लेते है बचे सब किनारे से चलते हैं,
कुछ एक है, जो काँटों को चुम गलिचे पर पाँव रख कर चलते हैं।
©Neha Narayan Singh
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