Neha Narayan Singh

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#RepublicDay

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अभिमान करू, ऐसा है गणतंत्र हमारा, लहू से लिखा, हर एक इंकलाब हमारा। सूर्य की किरणों सी है, अरुणाई इसमें, सागर की लहरों सी है, तरुणाई इसमें। फिर भी कभी-कभी भारत माँ रोती हैं, अधर्म,अत्याचार देख विचलित होती हैं। प्रेम लिखने बैठूं तो इंकलाब लिखती हूँ , आज भी द्रोपदी सा जब अध्याय देखती हूँ। सादर नेहा नारायण सिंह ©Neha Narayan Singh

#विचार #indianapp  अभिमान करू, ऐसा है गणतंत्र हमारा,
लहू से लिखा, हर एक इंकलाब हमारा।

सूर्य की किरणों सी है, अरुणाई इसमें,
सागर की लहरों सी है, तरुणाई इसमें।

फिर भी कभी-कभी  भारत माँ रोती हैं,
अधर्म,अत्याचार देख विचलित होती हैं।

प्रेम लिखने बैठूं तो इंकलाब लिखती हूँ ,
आज भी द्रोपदी सा जब अध्याय देखती हूँ।

सादर
नेहा नारायण सिंह

©Neha Narayan Singh

#indianapp

10 Love

कुछ एक रंग आबाद है बचे सब रंग बर्बाद हैं, बहुत कम होती, यहाँ फुलों की बरसात हैं, काँटों भरे गलिचे मिलते राहों में हर बार हैं, जिंदगी को जीने के तरीके भी सबके खास है। कुछ ख़ुद को ऱोक लेते है बचे सब किनारे से चलते हैं, कुछ एक है, जो काँटों को चुम गलिचे पर पाँव रख कर चलते हैं। ©Neha Narayan Singh

#lost  कुछ एक रंग आबाद है बचे सब रंग बर्बाद हैं,
बहुत  कम  होती, यहाँ  फुलों की  बरसात हैं,
काँटों भरे  गलिचे  मिलते  राहों में  हर बार हैं,
जिंदगी को जीने के तरीके भी सबके खास है।
कुछ ख़ुद को ऱोक लेते है बचे सब किनारे से चलते हैं,
कुछ एक है, जो काँटों को चुम गलिचे पर पाँव रख कर चलते हैं।

©Neha Narayan Singh

#lost

8 Love

सत्ता   तोड़   कर...,  सत्ता    बनाएंगे, रियासतें  जोड़  कर  मुल्क  बनायेंगे। नीति  है...,  या  है...,  यह   कूटनीति, जो  कह  लो..., ये  तो  है   राजनीति। राजा  हो  या  हो.., आज   के   नेता, तबकी प्रजा, या  हो आजकी जनता। सबका  यहाँ  अपना  ताना-बाना  है,  शह - मात का  खेल  बड़ा पुराना है। शतरंज  की...,  विषाद   पर  बिखरा, हर   मोहरा...,   काम  कर  जाता  है। ना   जाने   कब,  कहाँ  और  कैसे...,  सत्ता पर..., पलटवार  कर  जाता  है। मुल्क  बने...,   और  सरहदें  बनी..., बँटा  तो  हम...,  जैसों  का   परिवार। भाई - भाई  है  यहाँ...,  दुश्मन  बनें,   और  हुए..., माँओं  के आँचल  लाल। मुंबई, कलकत्ता और झारखण्ड दो हमें, अब   कितना..., करोगे  खण्ड - खण्ड। धर्म  पर  बँटवारा,  भाषा   पर  बँटवारा,   सत्ता है क्या तुमको  भारत माँ से प्यारा?  हिन्द - हिन्द हम सब हैं हिन्द की सेना,   कहता.., हर एक  दिल हिन्दुस्तानी  है। फिर  सत्ता   पाने  की   खातिर  क्यों...?  बना  बाग़ी..., ये   दिल  हिन्दुस्तानी  है। शिथिल    पड़े...,   लहू    को   तुम्हारे,  हम    धूप   की   ताप   देने  आये   है। सूर्य   का   तेज   लिए   मस्तक    पर,  शिव  तांडव...,  नृत्य  करने  आए   है। अटल   प्रतिज्ञा   है...,   अब   अपनी,   सुरक्षित   हर    गर्भ    कर    जायेंगे। मातृभूमि  की  खातिर...,  सुनो  तुम,  जान  देंगे..., और   जान   ले  जाएंगे। सत्ता   का    यह   खेल   ना   खेलो,  ओ..., सत्ता    के     सौदागरों.......,  सोच - समझ  कर  बात  करो  तुम,  संसद  हो,   या   हो   लोक - सदन।✍️ ©Neha Narayan Singh

 सत्ता   तोड़   कर...,  सत्ता    बनाएंगे,
रियासतें  जोड़  कर  मुल्क  बनायेंगे।
नीति  है...,  या  है...,  यह   कूटनीति,
जो  कह  लो..., ये  तो  है   राजनीति।
राजा  हो  या  हो.., आज   के   नेता,
तबकी प्रजा, या  हो आजकी जनता।
सबका  यहाँ  अपना  ताना-बाना  है, 
शह - मात का  खेल  बड़ा पुराना है।
शतरंज  की...,  विषाद   पर  बिखरा,
हर   मोहरा...,   काम  कर  जाता  है।
ना   जाने   कब,  कहाँ  और  कैसे..., 
सत्ता पर..., पलटवार  कर  जाता  है।
मुल्क  बने...,   और  सरहदें  बनी...,
बँटा  तो  हम...,  जैसों  का   परिवार।
भाई - भाई  है  यहाँ...,  दुश्मन  बनें,  
और  हुए..., माँओं  के आँचल  लाल।
मुंबई, कलकत्ता और झारखण्ड दो हमें,
अब   कितना..., करोगे  खण्ड - खण्ड।
धर्म  पर  बँटवारा,  भाषा   पर  बँटवारा,  
सत्ता है क्या तुमको  भारत माँ से प्यारा? 
हिन्द - हिन्द हम सब हैं हिन्द की सेना,  
कहता.., हर एक  दिल हिन्दुस्तानी  है।
फिर  सत्ता   पाने  की   खातिर  क्यों...? 
बना  बाग़ी..., ये   दिल  हिन्दुस्तानी  है।
शिथिल    पड़े...,   लहू    को   तुम्हारे, 
हम    धूप   की   ताप   देने  आये   है।
सूर्य   का   तेज   लिए   मस्तक    पर, 
शिव  तांडव...,  नृत्य  करने  आए   है।
अटल   प्रतिज्ञा   है...,   अब   अपनी,  
सुरक्षित   हर    गर्भ    कर    जायेंगे।
मातृभूमि  की  खातिर...,  सुनो  तुम, 
जान  देंगे..., और   जान   ले  जाएंगे।
सत्ता   का    यह   खेल   ना   खेलो, 
ओ..., सत्ता    के     सौदागरों......., 
सोच - समझ  कर  बात  करो  तुम, 
संसद  हो,   या   हो   लोक - सदन।✍️

©Neha Narayan Singh

सत्ता   तोड़   कर...,  सत्ता    बनाएंगे, रियासतें  जोड़  कर  मुल्क  बनायेंगे। नीति  है...,  या  है...,  यह   कूटनीति, जो  कह  लो..., ये  तो  है   राजनीति। राजा  हो  या  हो.., आज   के   नेता, तबकी प्रजा, या  हो आजकी जनता। सबका  यहाँ  अपना  ताना-बाना  है,  शह - मात का  खेल  बड़ा पुराना है। शतरंज  की...,  विषाद   पर  बिखरा, हर   मोहरा...,   काम  कर  जाता  है। ना   जाने   कब,  कहाँ  और  कैसे...,  सत्ता पर..., पलटवार  कर  जाता  है। मुल्क  बने...,   और  सरहदें  बनी..., बँटा  तो  हम...,  जैसों  का   परिवार। भाई - भाई  है  यहाँ...,  दुश्मन  बनें,   और  हुए..., माँओं  के आँचल  लाल। मुंबई, कलकत्ता और झारखण्ड दो हमें, अब   कितना..., करोगे  खण्ड - खण्ड। धर्म  पर  बँटवारा,  भाषा   पर  बँटवारा,   सत्ता है क्या तुमको  भारत माँ से प्यारा?  हिन्द - हिन्द हम सब हैं हिन्द की सेना,   कहता.., हर एक  दिल हिन्दुस्तानी  है। फिर  सत्ता   पाने  की   खातिर  क्यों...?  बना  बाग़ी..., ये   दिल  हिन्दुस्तानी  है। शिथिल    पड़े...,   लहू    को   तुम्हारे,  हम    धूप   की   ताप   देने  आये   है। सूर्य   का   तेज   लिए   मस्तक    पर,  शिव  तांडव...,  नृत्य  करने  आए   है। अटल   प्रतिज्ञा   है...,   अब   अपनी,   सुरक्षित   हर    गर्भ    कर    जायेंगे। मातृभूमि  की  खातिर...,  सुनो  तुम,  जान  देंगे..., और   जान   ले  जाएंगे। सत्ता   का    यह   खेल   ना   खेलो,  ओ..., सत्ता    के     सौदागरों.......,  सोच - समझ  कर  बात  करो  तुम,  संसद  हो,   या   हो   लोक - सदन।✍️ ©Neha Narayan Singh

7 Love

उफनीत मन स्थिर देह त्याग कर हुई, देह संग दहेज़ ला वो बहुरिया कहलाई, पहर पर पहरे लगे कुछ कम जो लाई, दिन-रात कमाई फिर भी ना वो भाई, पूछ रहे- आयशा तू क्यू लड़ ना पाई, हसीं में दर्द छुपाती तू जल में क्यू समाई? /Neha Narayan Singh. . ©Neha Narayan Singh

#Deepthoughts  उफनीत मन  स्थिर  देह  त्याग कर हुई,
देह संग दहेज़ ला वो बहुरिया कहलाई,
पहर पर  पहरे लगे  कुछ कम जो लाई,
दिन-रात कमाई  फिर भी ना  वो भाई,
पूछ  रहे- आयशा  तू क्यू  लड़ ना पाई,
 हसीं में दर्द छुपाती तू जल में क्यू समाई?

/Neha Narayan Singh.





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©Neha Narayan Singh

गम के ठहर जाने की बात मत करना, दर्द है बहुत किसी से ये बात मत कहना, एक कब्र दिल के अंदर बना कर रखना, उसमे सारे दर्दो-गम दफना कर रखना। Neha Narayan Singh/. ©Neha Narayan Singh

#alone  गम के  ठहर जाने की  बात  मत करना,
दर्द है बहुत किसी से ये बात मत कहना,
एक कब्र  दिल के अंदर बना कर रखना,
उसमे सारे दर्दो-गम  दफना  कर रखना।

                Neha Narayan Singh/.

©Neha Narayan Singh

#alone

8 Love

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