ममता मुझको थोड़ी चोट लगी तो, किसी - किसी ने आ | हिंदी कविता

"ममता मुझको थोड़ी चोट लगी तो, किसी - किसी ने आह भरी। किसी-किसी ने नजर घुमाकर, अपनी - अपनी राह धरी। किसी - किसी ने देखा पूछा, और किसी ने सहलाया। और किसी ने मुझसे ज्यादा, मेरी पीड़ा अपनाया।। इन सारे लोगो में वह जो, आँसू छिपा - छिपा रोई। जब तक चोट गयी न जड़ से, तब तक जागी, ना सोई। ऐसी पीड़ा कहाँ, कौन है, ममता पर हो जिसकी जय। नेह शक्ति वह दिव्य शक्ति है, जिससे मिलता मान, विजय।। ...................कौशल तिवारी ©Kaushal Kumar"

 ममता मुझको  थोड़ी  चोट  लगी  तो,
किसी - किसी  ने  आह  भरी।
किसी-किसी ने नजर घुमाकर,
अपनी  -  अपनी   राह   धरी।

किसी - किसी ने देखा पूछा,
और   किसी   ने  सहलाया।
और किसी ने मुझसे ज्यादा,
मेरी      पीड़ा     अपनाया।।

इन  सारे  लोगो  में  वह  जो,
आँसू   छिपा  -  छिपा   रोई।
जब तक चोट गयी न जड़ से,
तब   तक   जागी,  ना  सोई।

ऐसी  पीड़ा  कहाँ,  कौन  है,
ममता पर हो जिसकी जय।
नेह शक्ति वह दिव्य शक्ति है,
जिससे मिलता मान, विजय।।
                    ...................कौशल तिवारी

©Kaushal Kumar

ममता मुझको थोड़ी चोट लगी तो, किसी - किसी ने आह भरी। किसी-किसी ने नजर घुमाकर, अपनी - अपनी राह धरी। किसी - किसी ने देखा पूछा, और किसी ने सहलाया। और किसी ने मुझसे ज्यादा, मेरी पीड़ा अपनाया।। इन सारे लोगो में वह जो, आँसू छिपा - छिपा रोई। जब तक चोट गयी न जड़ से, तब तक जागी, ना सोई। ऐसी पीड़ा कहाँ, कौन है, ममता पर हो जिसकी जय। नेह शक्ति वह दिव्य शक्ति है, जिससे मिलता मान, विजय।। ...................कौशल तिवारी ©Kaushal Kumar

#ममता

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