White दिन ढलता है तो ढलने दो। रवि जलता है तो जलने | हिंदी कविता

"White दिन ढलता है तो ढलने दो। रवि जलता है तो जलने दो।। मेरे लिए नहिं कोई विकल। छलक गए आँसू पिघल-पिघल।। मेरे जीवन में ऊथल-पुथल। फिर भी चलता हूँ सँभल-संँभल।। अब धीरे-धीरे चलने दो।। घर में छाया घना अँँधेरा। लुटा-पिटा सा मेरा डेरा।। फिर भी लगता माया फेरा। जग झूठा क्या तेरा-मेरा।। हाँ!नियति नटी को छलने दो। ©Subhash Singh"

 White 
दिन ढलता है तो ढलने दो।
रवि जलता है तो जलने दो।।
मेरे लिए नहिं कोई विकल।
छलक गए आँसू पिघल-पिघल।।
मेरे जीवन में ऊथल-पुथल।
फिर भी चलता हूँ सँभल-संँभल।।
अब धीरे-धीरे चलने दो।।
घर में छाया घना अँँधेरा।
लुटा-पिटा सा मेरा डेरा।।
फिर भी लगता माया फेरा।
जग झूठा क्या तेरा-मेरा।।
हाँ!नियति नटी को छलने दो।

©Subhash Singh

White दिन ढलता है तो ढलने दो। रवि जलता है तो जलने दो।। मेरे लिए नहिं कोई विकल। छलक गए आँसू पिघल-पिघल।। मेरे जीवन में ऊथल-पुथल। फिर भी चलता हूँ सँभल-संँभल।। अब धीरे-धीरे चलने दो।। घर में छाया घना अँँधेरा। लुटा-पिटा सा मेरा डेरा।। फिर भी लगता माया फेरा। जग झूठा क्या तेरा-मेरा।। हाँ!नियति नटी को छलने दो। ©Subhash Singh

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