"यूँ ज़रा जरा हया के पर्दे गिरा रहे थे वो,
हैसियत मुझे ही मेरी याद दिला रहे थे वो !
गुरुर बेइन्तहा किया था मेने कभी उनपे
मेरे इश्क़ को ही मिट्टी में मिला रहे थे वो..!!
bharat a tarachandani"
यूँ ज़रा जरा हया के पर्दे गिरा रहे थे वो,
हैसियत मुझे ही मेरी याद दिला रहे थे वो !
गुरुर बेइन्तहा किया था मेने कभी उनपे
मेरे इश्क़ को ही मिट्टी में मिला रहे थे वो..!!
bharat a tarachandani