टूटे दिल की सदा अक्सर अंजाम बदल देती है,
ना मिले वफ़ा तो आशिको के सुबह शाम बदल देती है !
रुखसत हमने कर दिया इश्क़ को ये सोचकर जनाब,
अधूरे इश्क़ की दास्ताने अक्सर मुकम्मल गजल देती है!!
यूँ ज़रा जरा हया के पर्दे गिरा रहे थे वो,
हैसियत मुझे ही मेरी याद दिला रहे थे वो !
गुरुर बेइन्तहा किया था मेने कभी उनपे
मेरे इश्क़ को ही मिट्टी में मिला रहे थे वो..!!
bharat a tarachandani
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