बे वजह हसना था, हर मोड़ पर रोना था,
जाने वो बचपन कैसा था, जिसे सोच के रोना था।
एक पल में जैसे टूटा था, कोई ख्वाब जो अपना था,
मुठ्ठि से ऐसे फिसला था, वो खास कभी जो अपना था।
बारिश में वो कागज की नाव और मोसम जो सुहाना था,
ऐ काश वो वक्त कभी वापस आये, जिस वक्त गाँव हमारा था।
एक छोटा बस्ता डाल काधों पर जो कोसो दूर तक जाना था,
एक छोटी सी कहानी अपनी, छोटा सा अपना घराना था।
-sam_❤
©silent_night
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