White एक दफ्तर के बाबू ने काम क्या छोड़ा
हँसने के लिए आ गया पूरा शहर दौड़ा
एक ने कहा,
अरे! भाई अभी-अभी तो नौकरी लगी थी
फिर ऐसा क्या हुआ की नौकरी छोड़नी पड़ी?
बगल खड़ी मौसी भी बोल पड़ी
अरे इतनी सी तंख्वाह मे पूरा दिन काम कराते है
खाना खाने का भी समय, समय देखकर बताते है
अभी भी तो बच्चा है ,कहाँ ये सब झेल पायेगा
अच्छा है कल से उस बंदी खाने मे नही जायेगा
समय भी सोच रहा,
मुँह पे चिंता मन मे मुस्कुराहट
आज वही हो रहा है जो थी इनकी चाहत
बुजुर्ग ने भी बोल दिया
अब अकेले पाठक जी कितना संभालएंगे
बुढी उम्र मे कितना कमाएंगे कितना खायेंगे
ये आज कल के बच्चे न जाने किसकी बात मानते है
हालातों को नजरंदाज कर सिर्फ अपना पेट भरना जानते है
दफ्तर का बाबू हैरान है
उसके आस पास उससे ज्यादा लोग परेशान है
पाठक जी के घर पे चल रहा युद्ध घमासान था
पूरा का पूरा घर आज संसदे हिंदुस्तान था
अरे भाई शांत रहो अब कुछ लड़के को भी कहने दो
आँखे झुकी हुई लड़के ने कहा ,कोशिश जारी है
–Vikas Gupta
©Vikas Gupta
#akshaya_tritiya_2024