White प्रेम का चुंबन बन मैं जगमगाता हूं, फिर कहीं | हिंदी कविता

"White प्रेम का चुंबन बन मैं जगमगाता हूं, फिर कहीं पन्नों में दबाया जाता हूं। रहता तब भी साथ करुण कहानी में बिछड़ जाता अपना कोई रवानी में। संदेश बन जाऊं तब मैं अनशन का, मैं एक गुल हूं अपने गुलशन का।। ~ प्रेम शंकर "नूरपुरिया" मौलिक स्वरचित ©prem shanker noorpuriya"

 White प्रेम का चुंबन बन मैं जगमगाता हूं,
फिर कहीं पन्नों में दबाया जाता हूं।
रहता तब भी साथ करुण कहानी में 
बिछड़ जाता अपना कोई रवानी में।
संदेश बन जाऊं तब मैं अनशन का,
मैं एक गुल हूं अपने गुलशन का।।
~ प्रेम शंकर "नूरपुरिया"
मौलिक स्वरचित

©prem shanker noorpuriya

White प्रेम का चुंबन बन मैं जगमगाता हूं, फिर कहीं पन्नों में दबाया जाता हूं। रहता तब भी साथ करुण कहानी में बिछड़ जाता अपना कोई रवानी में। संदेश बन जाऊं तब मैं अनशन का, मैं एक गुल हूं अपने गुलशन का।। ~ प्रेम शंकर "नूरपुरिया" मौलिक स्वरचित ©prem shanker noorpuriya

गुल हूं गुलशन का

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