prem shanker noorpuriya

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White इक दिया जले हर आंगन में, एक जले तेरे मेरे इस मन में। जो रोशन कर दे हरेक आंगन, जिससे महक उठे तेरा मेरा मन ।। इक दिया जले सांची प्रीत का, करे उजाला तेरे मेरे मीत का। प्रेम का दीप भरोसे की बाती हो, रोशनी अपनेपन की आती हो। इक दिया जले सद्भावों का, एक जले तेरे मेरे ख्वाबों का। जहां खुद को खुद की पुकार हो, हो जहां सादगी न हुंकार हो।। इक दिया जले अब संस्कारों का, तेरे मेरे सुलझे हुए व्यवहारों का । जिसमें मीठे शब्दों सा प्यार हो, तेरे मेरे बीच न कोई दीवार हो।। इक दिया जले यहां ईमान का, खिलते चेहरों पर मुस्कान का। रीते हाथ न कोई मन खाली हो, खिलती हुई यहां ये दिवाली हो।। ~ प्रेम शंकर "नूरपुरिया" ©prem shanker noorpuriya

#कविता #happy_diwali  White इक दिया जले हर आंगन में,
एक जले तेरे मेरे इस मन में।
जो रोशन कर दे हरेक आंगन,
जिससे महक उठे तेरा मेरा मन ।।

इक दिया जले सांची प्रीत का,
करे उजाला तेरे मेरे मीत का।
प्रेम का दीप भरोसे की बाती हो,
रोशनी अपनेपन की आती हो।

इक दिया जले  सद्भावों का,
एक जले तेरे मेरे ख्वाबों का।
जहां खुद को खुद की पुकार हो,
हो जहां सादगी न हुंकार हो।।

इक दिया जले अब संस्कारों का,
तेरे मेरे सुलझे हुए व्यवहारों का ।
जिसमें मीठे शब्दों सा प्यार हो,
तेरे मेरे बीच न कोई दीवार हो।।

इक दिया जले यहां ईमान का,
खिलते चेहरों पर मुस्कान का।
रीते हाथ न कोई मन खाली हो,
खिलती हुई यहां ये दिवाली हो।।
~ प्रेम शंकर "नूरपुरिया"

©prem shanker noorpuriya

#happy_diwali

11 Love

White प्रेम का चुंबन बन मैं जगमगाता हूं, फिर कहीं पन्नों में दबाया जाता हूं। रहता तब भी साथ करुण कहानी में बिछड़ जाता अपना कोई रवानी में। संदेश बन जाऊं तब मैं अनशन का, मैं एक गुल हूं अपने गुलशन का।। ~ प्रेम शंकर "नूरपुरिया" मौलिक स्वरचित ©prem shanker noorpuriya

#कविता  White प्रेम का चुंबन बन मैं जगमगाता हूं,
फिर कहीं पन्नों में दबाया जाता हूं।
रहता तब भी साथ करुण कहानी में 
बिछड़ जाता अपना कोई रवानी में।
संदेश बन जाऊं तब मैं अनशन का,
मैं एक गुल हूं अपने गुलशन का।।
~ प्रेम शंकर "नूरपुरिया"
मौलिक स्वरचित

©prem shanker noorpuriya

गुल हूं गुलशन का

12 Love

White दुःख सुख किसी में साथ न छोड़ूं, चलूं संग सदा मैं कभी मुख न मोड़ूं। पूजा का पात्र बनूं और मैं इठलाऊं, जीत का हार बनूं और मैं बतलाऊं। प्रेमी नातों में संदेश मैं दूं लगन का, मैं एक गुल हूं अपने गुलशन का।। ~ प्रेम शंकर "नूरपुरिया" मौलिक स्वरचित ©prem shanker noorpuriya

#indian_akshay_urja_day #कविता  White दुःख सुख किसी में साथ न छोड़ूं,
चलूं संग सदा मैं कभी मुख न मोड़ूं।
पूजा का पात्र बनूं और मैं इठलाऊं,
जीत का हार बनूं और मैं बतलाऊं।
प्रेमी नातों में संदेश मैं दूं लगन का,
मैं एक गुल हूं अपने गुलशन का।।
~ प्रेम शंकर "नूरपुरिया"
मौलिक स्वरचित

©prem shanker noorpuriya

White लिए मुस्कान तराने स्वागत के गाऊं, जब जब मैं इस नये उपवन में आऊं। करने माली से विनती मैं भी जाऊं, नमन कर फिर चरण उनके छू पाऊं। जिनसे महफूज़ है आंचल वतन का, मैं एक गुल हूं अपने गुलशन का।। प्रेम शंकर "नूरपुरिया" मौलिक स्वरचित ©prem shanker noorpuriya

#कविता #good_night  White लिए मुस्कान तराने स्वागत के गाऊं,
जब जब मैं इस नये उपवन में आऊं।
करने माली से विनती मैं भी जाऊं,
नमन कर फिर चरण उनके  छू पाऊं।
जिनसे महफूज़ है आंचल वतन का,
मैं एक गुल हूं अपने गुलशन का।।
प्रेम शंकर "नूरपुरिया"
मौलिक स्वरचित

©prem shanker noorpuriya

#good_night

13 Love

White मैं एक गुल हूं अपने गुलशन का, यही सफर है यहां इस जीवन का। टूट कर शाख से भी मैं रुष्ट नहीं हूं, चुभ जाऊं किसी को वो दुष्ट नहीं हूं। फलता फूलता फूल हूं उपवन का, मैं एक गुल हूं अपने गुलशन का ।। प्रेम शंकर "नूरपुरिया" मौलिक स्वरचित ©prem shanker noorpuriya

#कविता #alone  White मैं एक गुल हूं अपने गुलशन का,
यही सफर है यहां इस जीवन का।
टूट कर शाख से भी मैं रुष्ट नहीं हूं,
चुभ जाऊं किसी को वो दुष्ट नहीं हूं।
फलता फूलता फूल हूं उपवन का,
मैं एक गुल हूं अपने गुलशन का ।।
प्रेम शंकर "नूरपुरिया"
मौलिक स्वरचित

©prem shanker noorpuriya

#alone

10 Love

एक ग़ज़ल! तमाशे जमाने के हमने भी यहां भरपूर देखे, रुतबेदार भी यहां कई हमने मजबूर देखे।। कुछ शाख से टूटकर भी नहीं होते हैं जुदा, लोग होकर पास भी हमने अक्सर दूर देखे।। लहज़े जिनके रहते कभी नरम सादगी से, बदलते कितने किरदार हमने वो क्रूर देखे।। पेशानी पर जिनके कभी नाम नहीं हुए, तवारीख के पन्नों पर हमने वो जरूर देखे।। फतेह नहीं होती कभी भी होश में आकर, दुनियां जीतने वाले खुद के नशे में चूर देखे।। ~ प्रेम शंकर "नूरपुरिया" मौलिक स्वरचित ©prem shanker noorpuriya

#कविता #sad_qoute  एक ग़ज़ल!

तमाशे जमाने के हमने भी यहां भरपूर देखे,
रुतबेदार भी यहां कई हमने मजबूर देखे।।

कुछ शाख से टूटकर भी नहीं होते हैं जुदा,
लोग होकर पास भी हमने अक्सर दूर देखे।।

लहज़े जिनके रहते कभी नरम सादगी से,
बदलते कितने किरदार हमने वो क्रूर देखे।।

पेशानी पर जिनके कभी नाम नहीं हुए,
तवारीख के पन्नों पर हमने वो जरूर देखे।।

फतेह नहीं होती कभी भी होश में आकर,
दुनियां जीतने वाले खुद के नशे में चूर देखे।।
~ प्रेम शंकर "नूरपुरिया"
मौलिक स्वरचित

©prem shanker noorpuriya

#sad_qoute

12 Love

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