White इक दिया जले हर आंगन में,
एक जले तेरे मेरे इस मन में।
जो रोशन कर दे हरेक आंगन,
जिससे महक उठे तेरा मेरा मन ।।
इक दिया जले सांची प्रीत का,
करे उजाला तेरे मेरे मीत का।
प्रेम का दीप भरोसे की बाती हो,
रोशनी अपनेपन की आती हो।
इक दिया जले सद्भावों का,
एक जले तेरे मेरे ख्वाबों का।
जहां खुद को खुद की पुकार हो,
हो जहां सादगी न हुंकार हो।।
इक दिया जले अब संस्कारों का,
तेरे मेरे सुलझे हुए व्यवहारों का ।
जिसमें मीठे शब्दों सा प्यार हो,
तेरे मेरे बीच न कोई दीवार हो।।
इक दिया जले यहां ईमान का,
खिलते चेहरों पर मुस्कान का।
रीते हाथ न कोई मन खाली हो,
खिलती हुई यहां ये दिवाली हो।।
~ प्रेम शंकर "नूरपुरिया"
©prem shanker noorpuriya
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