मौत का साया है सर पर,
चलो रहते हैं घर पर।
आज दस्तक है दरवाजे पर,
और दिल में भी घबराहट है,
लेकिन हमारे दिन संवरने की,
पूरी-पूरी आस है,
अंधेरे के बाद कहते हैं,
उजाला होता है दर पर
मौत का साया है सर पर,
चलो रहते हैं घर पर।
के छूत की बिमारी है,
और छूने से बचना है,
बच्चों बुजुर्गों का ख्याल रख के,
अच्छा नागरिक बनना है तत्पर,
मौत का साया है सर पर,
चलो रहते हैं घर पर।
लक्ष्मनरेखा खींच लो भारतीयो,
लक्ष्मनरेखा खींच लो भारतीयो,
करोना नाम का रावण,
ना आ सके दर पर,
मौत का साया है सर पर,
चलो रहते हैं घर पर।
Writer- @bejaan_shayer
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