सज़ा आए ऐसी आशिक़ी को , जो हम करते हैं, हर रोज़ मर | हिंदी Shayari

"सज़ा आए ऐसी आशिक़ी को , जो हम करते हैं, हर रोज़ मरते हैं उनपे फिर भी कम करते हैं, अब , इस हद तक भी क्या याद आना उनका जिंदगी में, ये बाते कहते तो रोज हैं खुद से, पर शिकायत है की , दिल से ज़रा कम कहते हैं.. ©Ravi Samrat"

 सज़ा आए ऐसी आशिक़ी को , जो हम करते हैं,
हर रोज़ मरते हैं उनपे फिर भी कम करते हैं,
अब ,
इस हद तक भी क्या याद आना उनका जिंदगी में,
ये बाते कहते तो रोज हैं खुद से, पर शिकायत है की ,
दिल से ज़रा कम कहते हैं..

©Ravi Samrat

सज़ा आए ऐसी आशिक़ी को , जो हम करते हैं, हर रोज़ मरते हैं उनपे फिर भी कम करते हैं, अब , इस हद तक भी क्या याद आना उनका जिंदगी में, ये बाते कहते तो रोज हैं खुद से, पर शिकायत है की , दिल से ज़रा कम कहते हैं.. ©Ravi Samrat

#Raftaar

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