बूंदों की शक्ल में ज़मी पर गिरने लगे घन सारे
महसूसने लगे खुशबू-ए-जूही थिरने लगे सितारे
आंखों से बहते हुए ये आंसू होते हैं सच्चे हमारे
इंतजार है सावन ही लायेगा अब चमन में बहारें
Dr Tara Singh Anshul
मेरी मोहब्बत के मधुर एहसास को तोड़ा
मन भर गया मुझसे मेरे विश्वास को तोड़ा
ख़ुदगर्ज़ बेवफ़ा लोग कर नहीं सकते वफ़ा
यकीन तोड़ा उसने यूंं मेरी आस को तोड़ा
Dr.Tara SinghAnshul
डा0 तारा सिंह अंशुल
©Dr Tara Singh Anshul
#PrideMonth