इज़हार इज़हार ऐ इश्क को सोच कर, फना होती आज भी रूह

"इज़हार इज़हार ऐ इश्क को सोच कर, फना होती आज भी रूह मेरी!आज भी खाता हूं खौंफ, सोच कर तेरी बेवफ़ाई को! इज़हार ए खलिस आज भी है दिल में मेरे,इंशा दिलनवाज होगा मुक्कद्दर में कोई !"

 इज़हार इज़हार ऐ इश्क को सोच कर, फना होती आज भी रूह मेरी!आज भी खाता हूं खौंफ, सोच कर तेरी बेवफ़ाई को! इज़हार ए खलिस आज भी है दिल में मेरे,इंशा दिलनवाज होगा मुक्कद्दर में कोई !

इज़हार इज़हार ऐ इश्क को सोच कर, फना होती आज भी रूह मेरी!आज भी खाता हूं खौंफ, सोच कर तेरी बेवफ़ाई को! इज़हार ए खलिस आज भी है दिल में मेरे,इंशा दिलनवाज होगा मुक्कद्दर में कोई !

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