Ashok Kumar Meena

Ashok Kumar Meena Lives in Suratgarh, Rajasthan, India

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चाय और चौपाल अक्सर भूल जाते है चाय की चौपाल में, चाय की शान में कुछ कहना!इंतजार होता है दो लफ्ज का किसी को!अग‌र समझ गये हो तो, सजती रहेगी महफिल चौपाल में यू ही ,या समझोगे तब, बिल्ली पी जायेगी दूध सारा, या बर्तन गिरेंगे रसोई में तब !सिर्फ दो लफ्जो की बात है ,जिसे भूल जाते हो अक्सर.…..

 चाय और चौपाल अक्सर भूल जाते है चाय की चौपाल में, चाय की शान में कुछ कहना!इंतजार होता है दो लफ्ज का किसी को!अग‌र समझ गये हो तो, सजती रहेगी महफिल चौपाल में यू ही ,या समझोगे तब, बिल्ली पी जायेगी दूध सारा, या बर्तन गिरेंगे रसोई में तब !सिर्फ दो लफ्जो की बात है ,जिसे भूल जाते हो अक्सर.…..

चाय और चौपाल अक्सर भूल जाते है चाय की चौपाल में, चाय की शान में कुछ कहना!इंतजार होता है दो लफ्ज का किसी को!अग‌र समझ गये हो तो, सजती रहेगी महफिल चौपाल में यू ही ,या समझोगे तब, बिल्ली पी जायेगी दूध सारा, या बर्तन गिरेंगे रसोई में तब !सिर्फ दो लफ्जो की बात है ,जिसे भूल जाते हो अक्सर.…..

9 Love

राहें तू् राहो को ना बदल अपनी,ख़ुदा के उसूलों की!राह देख रहा है या रब, मंजिले मुकाम पर! जन्नत ए शुकून मिलें, भटकता है हर कोई जमाने में,ना फ़िक्र कर मुसाफ़िर उसूले राहो में.. ....खो ना जाना भीड़ में यहां !

 राहें तू् राहो को ना बदल अपनी,ख़ुदा के उसूलों की!राह देख रहा है  या रब, मंजिले मुकाम पर! जन्नत ए शुकून मिलें, भटकता है हर कोई जमाने में,ना फ़िक्र कर मुसाफ़िर उसूले राहो में.. ....खो ना जाना भीड़ में यहां !

राहें तू् राहो को ना बदल अपनी,ख़ुदा के उसूलों की!राह देख रहा है या रब, मंजिले मुकाम पर! जन्नत ए शुकून मिलें, भटकता है हर कोई जमाने में,ना फ़िक्र कर मुसाफ़िर उसूले राहो में.. ....खो ना जाना भीड़ में यहां !

10 Love

हँसी "हंसी" को भी समझ, समझ कर ही हंस, "हंस" कर ही समझ... ज़िन्दगी को तू!

 हँसी "हंसी" को भी समझ, समझ कर ही हंस, "हंस" कर ही समझ... ज़िन्दगी को तू!

हँसी "हंसी" को भी समझ, समझ कर ही हंस, "हंस" कर ही समझ... ज़िन्दगी को तू!

6 Love

इज़हार इज़हार ऐ इश्क को सोच कर, फना होती आज भी रूह मेरी!आज भी खाता हूं खौंफ, सोच कर तेरी बेवफ़ाई को! इज़हार ए खलिस आज भी है दिल में मेरे,इंशा दिलनवाज होगा मुक्कद्दर में कोई !

 इज़हार इज़हार ऐ इश्क को सोच कर, फना होती आज भी रूह मेरी!आज भी खाता हूं खौंफ, सोच कर तेरी बेवफ़ाई को! इज़हार ए खलिस आज भी है दिल में मेरे,इंशा दिलनवाज होगा मुक्कद्दर में कोई !

इज़हार इज़हार ऐ इश्क को सोच कर, फना होती आज भी रूह मेरी!आज भी खाता हूं खौंफ, सोच कर तेरी बेवफ़ाई को! इज़हार ए खलिस आज भी है दिल में मेरे,इंशा दिलनवाज होगा मुक्कद्दर में कोई !

9 Love

फ़रियाद गुजरा हर लम्हा वक्त का फ़रियाद में या रब, सोचता हूं कुछ इस तरहां अब!सब्र का इम्तिहान ले रहा है या रब,कबूल होगी फ़रियाद जो मेरी, उम्मीद ना होगी किसी को...

 फ़रियाद गुजरा हर लम्हा वक्त का फ़रियाद में या रब, सोचता हूं कुछ इस तरहां अब!सब्र का इम्तिहान ले रहा है या रब,कबूल होगी फ़रियाद जो मेरी, उम्मीद ना होगी किसी को...

फ़रियाद गुजरा हर लम्हा वक्त का फ़रियाद में या रब, सोचता हूं कुछ इस तरहां अब!सब्र का इम्तिहान ले रहा है या रब,कबूल होगी फ़रियाद जो मेरी, उम्मीद ना होगी किसी को...

8 Love

खामोशियां बढ़ती गई बातो के दरमिया ,समझ कर भी समझता रहा बातों को तेरी...

 खामोशियां बढ़ती गई बातो के दरमिया ,समझ कर भी समझता रहा बातों को तेरी...

खामोशियां बढ़ती गई बातो के दरमिया ,समझ कर भी समझता रहा बातों को तेरी...

7 Love

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