हरे सजर न सही सूखी घास रहने दो, जमीं के जिस्म पर क | हिंदी शायरी

"हरे सजर न सही सूखी घास रहने दो, जमीं के जिस्म पर कोई लिबास रहने दो | ©Suresh Gulia"

 हरे सजर न सही सूखी घास रहने दो,
जमीं के जिस्म पर कोई लिबास रहने दो  |

©Suresh Gulia

हरे सजर न सही सूखी घास रहने दो, जमीं के जिस्म पर कोई लिबास रहने दो | ©Suresh Gulia

#EarthDay2021 @Astha Raj Dhiren Dhyaan mira @B Ravan @Sethi Ji R K Mishra " सूर्य "

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