White Hey...!!
Often we have seen that some people love their company very much.
ये एक अच्छी आदत भी है doctors का भी मानना है कि इंसान के लिए
music therapy होती है, music का हमारे मन पर काफी प्रभाव पड़ता है
, हम जैसा music सुनते हैं वैसे ही हमारे मन पर प्रभाव होता है,
मैं कुछ songs को सोचकर मन ही मन मंथन कर रहा था जैसे कि -:
"किसी की मुस्कुराहटों पे हो निसार ,किसी का दर्द मिल सके तू लूँ उधार
,किसी के वास्ते हो तेरे दिल में प्यार ,जीना इसी का नाम है"
पर अगर जीना इसका नाम है तो
"सीने में जलन ,आँखों में तूफान सा क्यूं है ? इस शहर में हर शख्स परेशान सा क्यूँ है..?"
ज़िन्दगी के सफर में महसूस किया जो जितना बेहतर होता है
उसने उतनी कुलबुलाहट महसूस की होती है ज़िन्दगी की...!
I think जीने का कोई निश्चित फलसफा नही ,बस तुष्टि जरूरी है ।
आप स्वयं को सन्तुष्ट रखने की विधा सीख लें तो सब बढ़िया..!
कहते हैं "अपेक्षा मत रखो किसी से खुश रहोगे " लगभग दस सालों से
इस पर काम कर रहा अपने ऊपर पर असम्भव सा लगता है ये गुण..!
कम-ज्यादा,जाने अनजाने अपेक्षायें तो सिर उठाने ही लगतीं हैं।भले फिर
खुद को समझाबूझा कर शान्त कर लिया जाये..!
विरले ही होते हैं जो दूसरों या अपने आप से अपेक्षा न रखते हुए स्वयं को साध पाते हैं..!
एक समय पर जो बातें आपको बहुत गलत लगती हैं कुछ समय बाद आप उन्हीं बातों को लेकर फ्लैक्सिबल हो जाते हो और ज़िन्दगी के अलग अलग समीकरणों में भिन्न फार्मूले ही लगते हैं ।बस जरूरी होता है मन खिन्न न हो और विचलित हुए बिना दिन बीत जाये ...!
"आवत हिय हरषे नही ,नैनन नही सनेह,
तुलसी कहा न जाइये ,कंचन बरसे मेह।"
अब इसके हिसाब से चलें तो तुलसीदास जी ने कहा है जहां आने
से लोग हर्षित न हो ,नैनों में स्नेह न बरसे ,वहाँ सोने की भी
बरसात क्यूँ न हो नही जाना चाहिए..!
ऐसे में क्या करें हर किसी को खुश रखना हमारे वश में नही ,पर छोड़ देते हैं
तो लगता है हम गलत कर रहे प्रयास होना चाहिए अपनी ओर से और
न छोड़ें तो खुद को छला सा महसूस होता।सबको खुश करने में खुद को
बिछा दें भले जोश में पर जब लोग आपको पायदान ही
समझ लेते तो भी तिलमिलाहट ..!
All over कुल मिलाकर बहुत कठिन हो डगर पनघट की ...!
बस यूं ही कभी कभी मेरे दिल में ख्याल आता है..!
©पूर्वार्थ
#लाइफ