White निकले जो बे नकाब तुम हम मर गये शर्म से होते | हिंदी शायरी

"White निकले जो बे नकाब तुम हम मर गये शर्म से होते दिखे खराब तुम हम मर गए शर्म से। पलकों की छाॅव रखना, ये मद भरी निगाहें छलकाई जब शराब तुमने, हम मर गए शर्म से। मसरूफ़ तुम को देखा, यारों मे ऐश करते थे पी रहे शराब तुम, हम मर गए शर्म से। तुम इल्म-याफ़्ता हो, मालूम था ये हमको हो गए जो बद अख़लाक तुम, हम मर गये शर्म से। ज़ख़्मी तुम्हारी चुनरी, हुई थी तार तार चुनरी लगाया दाग़ तुमने हम मर गए शर्म से। ©Andy Mann"

 White निकले जो बे नकाब तुम हम मर गये शर्म से 
होते दिखे खराब तुम हम मर गए शर्म से। 

पलकों की छाॅव रखना, ये मद भरी निगाहें 
छलकाई जब शराब तुमने, हम मर गए शर्म से। 

मसरूफ़ तुम को देखा, यारों मे ऐश करते
थे पी रहे शराब तुम, हम मर गए शर्म से। 

तुम इल्म-याफ़्ता हो, मालूम था ये हमको 
हो गए जो बद अख़लाक तुम, हम मर गये शर्म से। 

ज़ख़्मी तुम्हारी चुनरी, हुई थी तार तार 
चुनरी लगाया दाग़ तुमने हम मर गए शर्म से।

©Andy Mann

White निकले जो बे नकाब तुम हम मर गये शर्म से होते दिखे खराब तुम हम मर गए शर्म से। पलकों की छाॅव रखना, ये मद भरी निगाहें छलकाई जब शराब तुमने, हम मर गए शर्म से। मसरूफ़ तुम को देखा, यारों मे ऐश करते थे पी रहे शराब तुम, हम मर गए शर्म से। तुम इल्म-याफ़्ता हो, मालूम था ये हमको हो गए जो बद अख़लाक तुम, हम मर गये शर्म से। ज़ख़्मी तुम्हारी चुनरी, हुई थी तार तार चुनरी लगाया दाग़ तुमने हम मर गए शर्म से। ©Andy Mann

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