जंजीरों में जकड़ा हुआ हैं मन
डर,इश्क,इबादत,लालच,धन।
क्यों नहीं ये जंजीरे हमें आती है नजर
इनसे बच पाएं, तो मिल जाये चमन।
कुदरत में जो भी है, वह एक किताब हैं
क्यों नहीं पढ़ पाते जिसे हमारे नयन।
पेड़,पौधे, परिंदे और सारे जीव जंतु
कमलेश कुदरत का रचे हुए हैं जतन।
©Kamlesh Kandpal
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