"अपनी यादें अपनी बातें लेकर जाना भूल गये;
जाने वाले जल्दी में मिलकर जाना भूल गये।
मुड़-मुड़ कर देखा था जाते वक़्त रास्ते में उन्होंने,
मुड़-मुड़ कर देखा था जाते वक़्त रास्ते में उन्होंने;
जैसे कुछ जरुरी था, जो वो हमें बताना भूल गये।।
वक़्त-ए-रुखसत भी रो रहा था हमारी बेबसी पर;
उनके आंसू वहीं रह गये, वो बाहर ही आना भूल गये।
©Er VKB Shayar
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