वतन मेरा है मेरी ज़िन्दगानी।
मुहब्बतों की है यह निशानी।।
देश मेरा मेरे दिल में यूं धड़कता।
गाऐ नज़्म जैसे मीठी ज़ुबानी।।
इसके ज़र्रे ख़ूं से लिपटी है।
जांबाज जवानों की जवानी।।
वतन मेरा है मेरी ज़िन्दगानी।
मुहब्बतों की है यह निशानी।।
वतन मेरा आब-ए- ज़मज़म।
पावन गंगा का बहता पानी।।
इसकी मिट्टी की खुशबू यूं ।
जैसे महके रात की रानी ।।
वतन मेरा है मेरी ज़िन्दगानी।
मुहब्बतों की है यह निशानी।।
आवाज़े अज़ा दे रूहे सुकूं।
प्रभु भजन गाए मीरा दीवानी।।
गिरजे की घण्टियां गूंजे गगन में।
जहां प्यार सिखाए है गुरबानी।।
वतन मेरा है मेरी ज़िन्दगानी।
मुहब्बतों की है यह निशानी।।
रस्मों रिवाजों से चाहे जुदा हम।
सबके दिलों की बस एक कहानी।।
फ़ख़्र है मुझे अपनी सरजमीं पर।
आसमां चूमें मेरे तिरंगे की पेशानी।।
वतन मेरा है मेरी ज़िन्दगानी।
मुहब्बतों की है यह निशानी।।
सियासत चले चाहे चालें नई।
तोड़े ना टूटे दोस्ती यह पुरानी।।
हिंदू मुसलमां को बांटने वालों।
नाज़ है हमें हम हैं हिन्दुस्तानी।।
वतन मेरा है मेरी ज़िन्दगानी।
मुहब्बतों की है यह निशानी ।।
©Roohi Quadri
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