सफर-ए-इश्क में
यूँ इस तरह तुम्हारा हताश होना अच्छा नहीं।।
हमारी मुहब्बत भी
ये धरती और आकाश की तरह ही है
एक-दूसरे का कोई वजूद नही एक-दूसरे के बिना।।
धरती और आकाश
मिलते हैं दोनों एक-दूसरे से जिस छोर पर ,,
मेरा तुम्हारा भी मिलना होगा उसी छोर पर।।
वहाँ तब हमारे दरमियाँ
आयेगी नहीं असमानताओं की ये खाईयाँ।।
©Alfaj_E_Chand(Moon)