तेरे कंगन तेरे कंगन की खनक आज तक सोने ना देती, तेर | हिंदी शायरी
"तेरे कंगन तेरे कंगन की खनक आज तक सोने ना देती,
तेरे ना होने पर भी होने का एहसास देती,
किसी और के बजे जब कंगन,
तेरा रूप उसी में ढूँढती,
तेरे ना मिलने पर,
रोने पर मजबूर करती"
तेरे कंगन तेरे कंगन की खनक आज तक सोने ना देती,
तेरे ना होने पर भी होने का एहसास देती,
किसी और के बजे जब कंगन,
तेरा रूप उसी में ढूँढती,
तेरे ना मिलने पर,
रोने पर मजबूर करती