"चाँद! तुम सो रहे हो...
बहुत हंसीन लग रहे हो...
इस ठंडी रात के आगोश में,
क्या ख़्वाब कोइ बुन रहे हो...?
सुनो..जागो, और इक बात बताओ..
मेरे पिया का ऑखों देखा हाल सुनाओ...
क्या वो भी अब तक जाग रहे हैं ?
मुझको तुम में ढूंढ रहे हैं ?
क्या मेरी तरह ही जल रहे हैं..?
तुमसे बातें कर रहे हैं..?
ख़ुशनसीब हैं ये रात..
जो अपने चाँद को लेके साथ...
बरसा रही है चाँदनी...
और दिखा रही है ख्वाब...
चाँद तुम सो रहे हो..
बहुत हंसी लग रहे हो..."