क्या सोच कर आई थी,
और क्या हो रहा है,
असत्य जाग उठा,
ईमान हमारा सो रहा है,
प्यार पाने का जो उम्मीद था दिल में,
मिला ये आँसू अब उसे धो रहा है।
कुछ मुकाम पाने का था,
मिला हुआ भी अब खो रहा है।
आज फूटफूटकर मेरा दिल
जोरों से रो रहा है।
✍अनिता सुभाष देशमुख।
दर्द