कुछ अनजान रिश्ते, यूँ ही जुड़ जाती हैं हम उन्हें ट | हिंदी शायरी

"कुछ अनजान रिश्ते, यूँ ही जुड़ जाती हैं हम उन्हें टूटकर निभाते हैंl कभी हँसते_हँसाते हैं कभी वेवजह तड़पाते हैं, हर हाल एक_दूसरे को बतलाते हैं। हर खुशी_गम में एक दूसरे को मिलाते हैं, रिश्ते की कोई ओर_छोड़ नही फिर भी निभाते हैंl इतना होते हुए भी ज़नाब…! ये रिश्ते अनजान कहलाते हैं। 💞💞💞💞💞💞💞💞"

 कुछ अनजान रिश्ते,
यूँ ही जुड़ जाती हैं
हम उन्हें 
टूटकर निभाते हैंl
कभी हँसते_हँसाते हैं
कभी वेवजह तड़पाते हैं,
हर हाल एक_दूसरे को
बतलाते हैं।
हर खुशी_गम में
एक दूसरे को मिलाते हैं,
रिश्ते की कोई
ओर_छोड़ नही
फिर भी निभाते हैंl
इतना होते हुए भी
ज़नाब…!
ये रिश्ते अनजान कहलाते हैं।
💞💞💞💞💞💞💞💞

कुछ अनजान रिश्ते, यूँ ही जुड़ जाती हैं हम उन्हें टूटकर निभाते हैंl कभी हँसते_हँसाते हैं कभी वेवजह तड़पाते हैं, हर हाल एक_दूसरे को बतलाते हैं। हर खुशी_गम में एक दूसरे को मिलाते हैं, रिश्ते की कोई ओर_छोड़ नही फिर भी निभाते हैंl इतना होते हुए भी ज़नाब…! ये रिश्ते अनजान कहलाते हैं। 💞💞💞💞💞💞💞💞

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