गर्दिश में जब मिलोगे तो मंज़र कुछ ऐसा होगा चांद‌ ,

"गर्दिश में जब मिलोगे तो मंज़र कुछ ऐसा होगा चांद‌ , सूरज , नक्षत्रों के‌ साथ तारों भरा समंदर होगा जिस पल हम दोनों की हथेलियां टकरायेगी और आत्माएं सुलग जाएंगी तब समझना उठा कहीं इश्क का बवंडर होगा चांद , सूरज ,‌‌ नक्षत्रों के साथ तारों भरा समंदर होगा ।। कविता "

 गर्दिश में जब मिलोगे
तो मंज़र कुछ ऐसा होगा
चांद‌ , सूरज , नक्षत्रों के‌ साथ 
तारों भरा समंदर होगा 
जिस पल हम दोनों की 
हथेलियां टकरायेगी 
और आत्माएं सुलग जाएंगी
तब समझना उठा कहीं 
इश्क का बवंडर होगा
चांद , सूरज ,‌‌ नक्षत्रों के साथ
तारों भरा समंदर होगा ।।

कविता

गर्दिश में जब मिलोगे तो मंज़र कुछ ऐसा होगा चांद‌ , सूरज , नक्षत्रों के‌ साथ तारों भरा समंदर होगा जिस पल हम दोनों की हथेलियां टकरायेगी और आत्माएं सुलग जाएंगी तब समझना उठा कहीं इश्क का बवंडर होगा चांद , सूरज ,‌‌ नक्षत्रों के साथ तारों भरा समंदर होगा ।। कविता

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