पार्वती जी ने सोचा मैंने तप तो दान कर दिया है अब म

"पार्वती जी ने सोचा मैंने तप तो दान कर दिया है अब मैं पुनः तप प्रारंभ करती हूं माता पार्वती ने पुनः तप करने का संकल्प लिया यह देख भगवान शिव फिर से प्रकट हुए और बोले देवी अब क्या कर रही हो तब माता ने कहा मैंने अपने तब का दान कर दिया है और अपने पति रूप में आपको पाने के लिए मैं फिर से तब करूंगी तब महादेव ने कहा बालक और मगरमच्छ के रूप में मैं ही था तुमने मुझे ही अपने तप का दान किया है मैं तो बस तुम्हारी परीक्षा ले रहा था की तुम्हारा चित्त प्राणी मात्र से सुख दुख का अनुभव करता है या नहीं तुम्हें पुनः तप करने की आवश्यकता नहीं है मैं तुम्हारी तपस्या से मैं प्रसन्न हूं ©Mahadev"

 पार्वती जी ने सोचा मैंने तप तो दान कर दिया है अब मैं पुनः तप प्रारंभ करती हूं माता पार्वती ने पुनः तप करने का संकल्प लिया यह देख भगवान शिव फिर से प्रकट हुए और बोले देवी अब क्या कर रही हो तब माता ने कहा मैंने अपने तब का दान कर दिया है और अपने पति रूप में आपको पाने के लिए मैं फिर से तब करूंगी तब महादेव ने कहा बालक और मगरमच्छ के रूप में मैं ही था तुमने मुझे ही अपने तप का दान किया है मैं तो बस तुम्हारी परीक्षा ले रहा था की तुम्हारा चित्त प्राणी मात्र से सुख दुख का अनुभव करता है या नहीं
तुम्हें पुनः तप करने की आवश्यकता नहीं है मैं तुम्हारी तपस्या से मैं 
प्रसन्न हूं

©Mahadev

पार्वती जी ने सोचा मैंने तप तो दान कर दिया है अब मैं पुनः तप प्रारंभ करती हूं माता पार्वती ने पुनः तप करने का संकल्प लिया यह देख भगवान शिव फिर से प्रकट हुए और बोले देवी अब क्या कर रही हो तब माता ने कहा मैंने अपने तब का दान कर दिया है और अपने पति रूप में आपको पाने के लिए मैं फिर से तब करूंगी तब महादेव ने कहा बालक और मगरमच्छ के रूप में मैं ही था तुमने मुझे ही अपने तप का दान किया है मैं तो बस तुम्हारी परीक्षा ले रहा था की तुम्हारा चित्त प्राणी मात्र से सुख दुख का अनुभव करता है या नहीं तुम्हें पुनः तप करने की आवश्यकता नहीं है मैं तुम्हारी तपस्या से मैं प्रसन्न हूं ©Mahadev

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