फिर मिटाने चला है जहां हस्ती इक दीवाने की, क्यू भू

"फिर मिटाने चला है जहां हस्ती इक दीवाने की, क्यू भूल गया फिर से.............................. मुक्कमल शख्सियत है उसी से इस जमाने की।"

 फिर मिटाने चला है जहां हस्ती इक दीवाने की,
क्यू भूल गया फिर से..............................
मुक्कमल शख्सियत है उसी से इस जमाने की।

फिर मिटाने चला है जहां हस्ती इक दीवाने की, क्यू भूल गया फिर से.............................. मुक्कमल शख्सियत है उसी से इस जमाने की।

ना होते दीवाने तो....
इस दुनियां में मोहब्बत का पेगाम ना होता,
ना हीर होती और ना रांझे का नाम ही होता ।

ना होते दीवाने तो...
इस दुनियां में सफलता का ना कोई मुकाम होता।
ना मैरीकोम होती ना ही अब्दुल कलाम ही होता।

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