जीवन जीवन से है वंचित
जीवन वो निष्प्राण हुए ।
जीवन तुम बिन हो कल्पित
मृत्यु का प्रमाण हुए ।
आधी तुम हो, आधा मैं हूँ
आधा सा जीवन अपना है ।
प्रेम समर्पित दोनों जीवन
इक जीवन इक प्राण हुए ।
प्रेम की नगरी में चलकर
तुमको ढून्ढे डगर डगर ।
प्रेम के बहते गंगा तट पर
पावन हो गये तुमको छूकर ।
प्रेम में खोकर, प्रेम के होकर
प्रेम को हम अर्पण हुये ।
प्रेमग्रंथ हम अपना लिखकर
तुम संग हो गये अजर अमर ।।
©Nitu Singh#जज़्बात_दिल_के
जीवनजीवन से है वंचित
जीवन वो निष्प्राण हुए ।
जीवन तुम बिन हो कल्पित
मृत्यु का प्रमाण हुए ।
आधी तुम हो, आधा मैं हूँ
आधा सा जीवन अपना है ।
प्रेम समर्पित दोनों जीवन