White गिरती हुई बूंद से कभी पूछा है क्या ? कहां | हिंदी कविता

"White गिरती हुई बूंद से कभी पूछा है क्या ? कहां गिरोगी तुम ! धरती पर,पहाड़ों में नदी में,नालों में पेड़ के पत्तों पर फूलों में कोई ऊंच-नीच का भेद नहीं प्रकृति का ऐसा अद्भुत मेल बूँदे गिरती हैं व गिरती ही रहेंगी बारिश के पानी में कहीं कोई भेद नज़र आए तो कहना... ©Aditya Neerav"

 White  गिरती हुई बूंद से 
कभी पूछा है क्या ?
कहां गिरोगी तुम !
धरती पर,पहाड़ों में
नदी में,नालों में
पेड़ के पत्तों पर फूलों में
कोई ऊंच-नीच का भेद नहीं
प्रकृति का ऐसा अद्भुत मेल 
बूँदे गिरती हैं व गिरती ही रहेंगी 
बारिश के पानी में 
कहीं कोई भेद नज़र आए तो कहना...

©Aditya Neerav

White गिरती हुई बूंद से कभी पूछा है क्या ? कहां गिरोगी तुम ! धरती पर,पहाड़ों में नदी में,नालों में पेड़ के पत्तों पर फूलों में कोई ऊंच-नीच का भेद नहीं प्रकृति का ऐसा अद्भुत मेल बूँदे गिरती हैं व गिरती ही रहेंगी बारिश के पानी में कहीं कोई भेद नज़र आए तो कहना... ©Aditya Neerav

#rain❤

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