"मैं चाहूं तो अकेला लड़ सकता हूं इस संसार से तुम्हारा प्रेम पाने के लिए पर मैंने कभी तुम्हारी आंखो में स्वयं के लिए प्रेम देखा ही नहीं, मैंने जब भी देखा उन आंखो में भय था, खो देने का भय, अपनों को, प्रेम को और जब मन में भय पनप आए तो फिर अन्य कोई भाव नहीं पनपता, प्रेम भी नहीं...!!!
©anshul gupta"