बूढ़ी आँखों ने
पाले थे कुछ ख़्वाब एक रोज
पंख लगे ख़्वाबो के
छोड़ गए आँखों का आसियाना
एक रोज......
आँखे तकती हैं राहो को
पैर भी अब लड़खड़ाते हैं हर रोज
वो ख़्वाब आसमान में उड़ते रहे
वो बूढी आँखे जमीन से उने तकती रही
की शायद लौटेंगे वो ख़्वाब एक रोज.....
@mamta.raj
##बूढी आँखे तलाशती हैं हर पल की जिनको ख़्वाबो की तरह पाला वो बच्चे ही एक दिन बूढ़े माँ बाप को छोड़कर उने बेसहारा कर् के चले जाते हैं और आँखों में बचता हैं तो सिर्फ इंतज़ार.....😐