नजरें झुका कर भी तुम खूबसूरत हो तो पलकें उठाने की जरूरत हैं क्या!
कमी नहीं हैं तुम्हारे सीरत में भी तो ये यूँ सजने सवरने की जरूरत हैं क्या!
तुम्हारी सूरत का श्रृंगार तुम्हारी सादगी हैं तो ये फ़िल्टर की जरुरत हैं क्या!
अरे मुझे पता हैं कि तुम क्या हो फिर ये दुनियाँ को बताने की जरुरत हैं क्या!
©Himanshu Kumar Sanatani