तो ज्यादा समय न लेते हुए मैं, आदमी और मनुष्य में आपको थोड़ा अंतर बता देता हूं!
आदम के समय जो आदमी होते थे, वो आदमखोर थे, जानवर और आदमी में कोई ज्यादा फर्क नहीं होता था! मनु से मनुष्य की उत्पत्ति धीरे-धीरे शुरू हुई!
मनुष्य मतलब यह है कि, जो इतना संपूर्ण हो, इतना प्रेम से भरा हो, जो इस प्राकृतिक और इस प्राकृतिक के अंदर रहने वाले हर एक जीव जंतु का ख्याल रखें! उसके प्रति प्रेम रखें! और उसमें अपना ऐसा सहयोग दें की यह प्राकृतिक और ब्रह्मांड में शांति ही शांति हो! या आप कह सकते हो भगवान जैसा रहें, जितने भी इस संसार में जीवन है उन सबको अथाह प्रेम दे! परंतु दुर्भाग्य है कि मनुष्य कुछ समय तक ही रह पाए!
और जब मनुष्य की जाति समाप्त होनी शुरू हुई तो, कुछ परम मनुष्य जन्म लेकर मनुष्य को बार-बार याद दिलाते रहे! मनुष्य धर्म की ज्ञात कराते रहें! परंतु उन्हें धर्म में परिवर्तित कर, समुदायों को बांट दिया गया! जिससे मनुष्य जाति खत्म हो गई, और धर्म की शुरुआत हो गई! जितने भी परम मनुष्य जन्म लेकर मनुष्य धर्म की ज्ञान, और जीवन की आधार बताने आए, उन्हें अलग तरीके से दर्शा कर क्रूर लोग धर्म और कट्टरपंथी ला दिए!
इसलिए ही मेरे अनुसार....
जो अभी इंसानों की जाति चल रही है, यह शायद आदमखोर आदमियों से भी ज्यादा खतरनाक साबित हो रहे हैं! प्राकृतिक और ब्रह्मांड के लिए और सबसे गहरी बात खुद के जाति के लिए भी!
अगर किताबों और इतिहास की बातों को छोड़, मैं अपने मन से बताऊं तो!