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मैंने इश्क़ किया उस अल्हड़ लड़की से जो किसी के पैरों की आवाज़ सुनकर फोन काट देती थी।
वो अल्हड़ लड़की जिसने माँ की डाँट खाई और पापा का तिरस्कार सहा
फिर भी निभाती रही मोहब्बत करती रही इश्क़ बेहद, बेहिसाब, बेबाक, बिना तहजीब के।
फिर अचानक बदल गई और रुआंसी होकर एक दिन बोली जी सको तो जी लो, मर जाओ तो बेहतर होगा।
ये दुनिया प्रेम के लायक बिल्कुल नहीं है।
जो चली गयी बिना हाल बताए, बिना हाल सुनें। एक सजी कार में बैठकर अपना घर बर्बाद करके एक घर आबाद करने।
और हम
हम रोते रहे बेहद, होते रहे बर्बाद बिना बात
देते रहे किस्मत को गालियाँ बेबाक, पीते रहे शराब बेहिसाब।
©Pradip Jha