Pradip Jha

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#Blogger | #Traveler | #Trader | #Musiclover | #Naturelover | #Poemwriter | By profession Electrical Engineer

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जिसके साथ बैठकर पीनी थी चाय, वो तो आयी नहीं,खैर चाय अच्छी है, पर ख्वाबों में बसी है उसकी यादें जाए। चाय के प्याले में छाई है मिट्ठास, दिल को भर देती है उस अनमोल यारी की बातें कई बार। उसका अभाव है, पर उसकी यादें हैं सदैव, चाय के साथ बिताए लम्हों की छाप है आज भी अनमोल और गहराईयों में बसी है सदैव। खुदा से मांगूं क्या, जो चाय का प्याला ही सब कुछ है, दिल को छू जाती है, उस चाय की हर एक बूंद की गहराई, उसका असर ही काफी है। ©Pradip Jha

#शायरी  जिसके साथ बैठकर पीनी थी चाय,
वो तो आयी नहीं,खैर चाय अच्छी है,
 पर ख्वाबों में बसी है उसकी यादें जाए।

चाय के प्याले में छाई है मिट्ठास,
दिल को भर देती है उस अनमोल यारी की बातें कई बार।

उसका अभाव है, पर उसकी यादें हैं सदैव,
चाय के साथ बिताए लम्हों की छाप है 
आज भी अनमोल और गहराईयों में बसी है सदैव।

खुदा से मांगूं क्या, जो चाय का प्याला ही सब कुछ है,
दिल को छू जाती है, उस चाय की हर एक बूंद की गहराई, उसका असर ही काफी है।

©Pradip Jha

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14 Love

#प्रेरक #citylights #Zindagi  वे लोग जो उँची आवाज़ में बोलते है...
       आखिर कब इतने अनसुने रहे होंगे...
 वो लोग जो बात-बात पर गुस्सा करते हैं...
       आखिर कौन सी ग़म दबी रह गई होगी...
 वो लोग जो अब किसी पर भरोसा नहीं करते...
       आख़िर कैसे और कब इतने टूट गए होंगे...
वो लोग जो अपनी बात अब किसी से नहीं कहते हैं...
      आख़िर किसे समझा पाने में असमर्थ रहे होंगें...
वे लोग जो बहुत ही चिड़चिड़े से रहते है...
     आखिर कब प्यार की कमी महसूस हुई होगी...
वे लोग जो उदासी और अकेलेपन से घिरे रहते है...
    आखिर किसके साथ से कभी जिंदगी रोशन हुई होगी...
ना जाने कितनी कहानियाँ कितने किस्से...
        एक ही इंसान के है कितने सारे हिस्से...
किसी की रातें रोशन है तो...किसी के दिन में भी अँधेरा...
     किसी के अपने साथ नहीं तो...कोई अपनों में भी अकेले...
सिसकियाँ लेता होगा वो भी...बैठकर किसी कोने में...
       मसहूर होता है वो ज़माने में...पत्थर दिली होने में...
सबके पास अपने भ्रम है...और है अपना ज्ञान...
       तुम किसी में हो अगर तो...वो किसी और में है महान...
इसी कसमकस में अभी जिंदगी है....
              न मंजिल का पता है न सफ़र का...
न तय है कुछ भी न तय हो पा रहा है...
             चले जा रहे हैं ..
एक अंजान सफ़र पर...एक गुमनाम रास्ते पर...
            कोशिश है एक दिन चमकुंगा जरूर...
उम्मीद है कि एक दिन मेरा भी नाम होगा जरूर !

©Pradip Jha
#ज़िन्दगी #holdinghands #throwback #Remember #Zindagi #Feeling  मैंने इश्क़ किया उस लड़की से जिसे प्रेम की बिल्कुल तहज़ीब नहीं थी।

रो पड़ती थी बस इतनी बात पर कि उसके गाँव में मेरे नाम के किसी लड़के की शादी हो गयी।

हंस पड़ती थी बस इतनी बात पर कि आज उसकी बाली कल वाली से ज्यादा खूबसूरत है, और माँ की बिंदी उसके माथे पर बड़ी नहीं लगती।

खुश हो जाती थी बस इतनी बात पर कि उसने मुझे तीन बार फोन किया और मैंने तीनों बार उठाया। और चहक कर बताती थी आज उसका दुपट्टा सर से एक बार भी नहीं सरका

मैंने इश्क़ किया उस लड़की से जिसे तमीज़ नहीं थी, तहजीब नहीं थी।

जो रात को सोते वक्त भी कपड़े सरकने का ख्याल रखती थी। 
जो मंदिर में कीसी  की तरफ देखना भी भगवान का अनादर समझती थी। जो बोलती थी मंदिर में ये शोभा नहीं देता।

मैंने इश्क़ किया उस लड़की से जिसे पसंद था फिल्मों से ज्यादा पहाड़ों की ख़ूबसूरती  को देखना ।
1/2

©Pradip Jha
#ज़िन्दगी #Journey  Thak haar kar jab baithta hu sofe par to ghar hi 
achha lagta hai. 

Ghumu chahe jahan sara par maa ka wo aanchal sachcha lagta hai.. 

Rakhte hi sar takiye par, yaad ghar ki aa jati aur  aankhe nam si ho jati hai. 
Jab ghar par jarurat ho meri, aur office se chhuti mil
 nahi paati hai..
Phir iss bhhag daur par gussa bahut aata hai.. 

mahino ho gye MAA ke hath ke machhi bhat aur
 litti chokha  khaye,  ab ye meggi aur oats wala
 boul bhata nahi.. 

Increment to lagta hai par ab sukun aata nahi.
jarurate puri ho jati hai iss naye shahar mai par dil
 ab behal pata nahi.. 

Pata nahi kyu mere shahar mai ye office shift ho
 jata nahi.. 

Thak haar kar jab baithta hu sofe par to ghar hi 
achha lagta hai.
Ghumu Chahe jahan sara par MAA ka wo aanchal sachcha lagta hai..

©Pradip Jha

#Journey

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#विचार  2/2 contn...
मैंने इश्क़ किया उस अल्हड़ लड़की से जो किसी के पैरों की आवाज़ सुनकर फोन काट देती थी।

वो अल्हड़ लड़की जिसने माँ की डाँट खाई और पापा का तिरस्कार सहा

फिर भी निभाती रही मोहब्बत करती रही इश्क़ बेहद, बेहिसाब, बेबाक, बिना तहजीब के। 
फिर अचानक बदल गई और रुआंसी होकर एक दिन बोली जी सको तो जी लो, मर जाओ तो बेहतर होगा। 
ये दुनिया प्रेम के लायक बिल्कुल नहीं है।

जो चली गयी बिना हाल बताए, बिना हाल सुनें। एक सजी कार में बैठकर अपना घर बर्बाद करके एक घर आबाद करने। 

और हम 

हम रोते रहे बेहद, होते रहे बर्बाद बिना बात 
देते रहे किस्मत को गालियाँ बेबाक, पीते रहे शराब बेहिसाब।

©Pradip Jha

2/2 contn... मैंने इश्क़ किया उस अल्हड़ लड़की से जो किसी के पैरों की आवाज़ सुनकर फोन काट देती थी। वो अल्हड़ लड़की जिसने माँ की डाँट खाई और पापा का तिरस्कार सहा फिर भी निभाती रही मोहब्बत करती रही इश्क़ बेहद, बेहिसाब, बेबाक, बिना तहजीब के। फिर अचानक बदल गई और रुआंसी होकर एक दिन बोली जी सको तो जी लो, मर जाओ तो बेहतर होगा। ये दुनिया प्रेम के लायक बिल्कुल नहीं है। जो चली गयी बिना हाल बताए, बिना हाल सुनें। एक सजी कार में बैठकर अपना घर बर्बाद करके एक घर आबाद करने। और हम हम रोते रहे बेहद, होते रहे बर्बाद बिना बात देते रहे किस्मत को गालियाँ बेबाक, पीते रहे शराब बेहिसाब। ©Pradip Jha

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ना वो सहवाग सा खौफ है, ना वो महत्वपूर्ण मैचों के बिच्छू की तरह चिपकने का गंभीर सा माद्दा..!! ना वो सचिन सा संतुलन है, ना वो दादा की दादागिरी..!! ना वो विपरीत परिस्थितियों में धोनी सा धैर्य है, ना वो अपने स्वास्थ्य से ऊपर देश को रखने वाला युवराज का साहस है..!! ना वो मुहतोड़ जवाब देने वाली हरभजन सी बॉलिंग है, ना वो आसपास के 5 मीटर से निकलती गेंद को जान लगाकर रोकने का कैफ और रैना सा जज्बा..!! ना वो कुंबले सा जीनियस है, ना वो जाहिर खान सा सटीक परफॉर्मर..!! ना वो द्रविड़ सी दीवार है, ना वो लक्ष्मण सी कलात्मकता..!! नही जीत पाओगे तुम, क्योंकि तुम देश के खिलाड़ी नही अब एक व्यवसायिक धनपशु संस्था के मोटी तनख्वाह उठाने वाले नकारा कर्मचारी हो गए हो..!! फोकस अपना आईपीएल पर रखो हमारा क्या है हम तो अगले मैच में फिर खड़े हो जाएंगे देश भावना से..... ©Pradip Jha

#विचार #BatBall  ना वो सहवाग सा खौफ है, ना वो महत्वपूर्ण मैचों के बिच्छू की तरह चिपकने का गंभीर सा माद्दा..!!
ना वो सचिन सा संतुलन है, ना वो दादा की दादागिरी..!!
ना वो विपरीत परिस्थितियों में धोनी सा धैर्य है, ना वो अपने स्वास्थ्य से ऊपर देश को रखने वाला युवराज का साहस है..!!
ना वो मुहतोड़ जवाब देने वाली हरभजन सी बॉलिंग है, ना वो आसपास के 5 मीटर से निकलती गेंद को जान लगाकर रोकने का कैफ और रैना सा जज्बा..!!
ना वो कुंबले सा जीनियस है, ना वो जाहिर खान सा सटीक परफॉर्मर..!!
ना वो द्रविड़ सी दीवार है, ना वो लक्ष्मण सी कलात्मकता..!!
नही जीत पाओगे तुम, क्योंकि तुम देश के खिलाड़ी नही अब एक व्यवसायिक धनपशु संस्था के मोटी तनख्वाह उठाने वाले नकारा कर्मचारी हो गए हो..!!
फोकस अपना आईपीएल पर रखो हमारा क्या है हम तो अगले मैच में फिर खड़े हो जाएंगे देश भावना से.....

©Pradip Jha

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