राहें तू् राहो को ना बदल अपनी,ख़ुदा के उसूलों की!र
"राहें तू् राहो को ना बदल अपनी,ख़ुदा के उसूलों की!राह देख रहा है या रब, मंजिले मुकाम पर! जन्नत ए शुकून मिलें, भटकता है हर कोई जमाने में,ना फ़िक्र कर मुसाफ़िर उसूले राहो में.. ....खो ना जाना भीड़ में यहां !"
राहें तू् राहो को ना बदल अपनी,ख़ुदा के उसूलों की!राह देख रहा है या रब, मंजिले मुकाम पर! जन्नत ए शुकून मिलें, भटकता है हर कोई जमाने में,ना फ़िक्र कर मुसाफ़िर उसूले राहो में.. ....खो ना जाना भीड़ में यहां !