ना जमीन थी, ना जमीर था
वो वक़्त भी कैसा अजीब था
साथ सभी ने आसानी से छोड़ा
पर एक शख्श बेहद करीब था
देखकर दुःखी तो ख़ुश सभी हुए
खुदा ने लिखा अपना नसीब था
निकल गए यूँ तलाश में खुद की
फ़िर जो पाया वो सबसे हसीन था
©WRITER AKSHITA JANGID
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