पारिजात - एक नवीन रचना
एक बीज पारिजात का..,
नंदनकानन से ले आओ,
सुगंधित सूत्रपात का..,
वृक्ष गली गली लगाओ !
पारिजात भूप रात का..,
गुलचाँदनी को बताओ,
इस सुवास करामात का..,
गुण जन जन को बतलाओं !
उत्सर्ग सुभग पारिजात का..,
धवल भोर को सुनाओ,
नन्हें निर्मल जज्बात का..,
हुनर जन जन को सिखाओ !
दिव्य आलोक पारिजात का..,
इस नवयुग में फैलाओ,
सम्यक उचित सौगात का..,
सामर्थ्य सबको पहुंचाओ !
डॉ आनंद दाधीच "दधीचि"
©Anand Dadhich
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