वो सकरी गलीयों सा जान पड़ता है, जानना चहा बहुत उसे | हिंदी शायरी

"वो सकरी गलीयों सा जान पड़ता है, जानना चहा बहुत उसे, पर अनजान दिखाई पड़ता है। आखों में देखे जब भी वो मेरे, मन के हर उलझनो का हल दिखाई पड़ता है । लगे कभी बहुत ज्ञानी पर खुद को ना समझने की नादानी किया जान पड़ता है ।। ©khushboo €{khushi}€ tiwari"

 वो सकरी गलीयों सा जान पड़ता है,
जानना चहा बहुत उसे, पर अनजान दिखाई पड़ता है।
आखों में देखे जब भी वो मेरे,
मन के हर उलझनो का हल दिखाई पड़ता है ।
लगे कभी बहुत ज्ञानी 
पर खुद को ना समझने की नादानी किया जान पड़ता है ।।

©khushboo €{khushi}€ tiwari

वो सकरी गलीयों सा जान पड़ता है, जानना चहा बहुत उसे, पर अनजान दिखाई पड़ता है। आखों में देखे जब भी वो मेरे, मन के हर उलझनो का हल दिखाई पड़ता है । लगे कभी बहुत ज्ञानी पर खुद को ना समझने की नादानी किया जान पड़ता है ।। ©khushboo €{khushi}€ tiwari

#ek_ajnabi_writer ek anjaana

#lost

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