Revenge
न छेड़ दिल को मेरे,
दर्द का अंगार लिए फिरता हूँ,
चुप्पी बस तूफ़ान की शुरुआत,
और राख में चिंगारियों की बयार लिए गुजरता हुँ।
जख्मों की बात न कर,
मैं तो फ़सानो की आड़ में महफ़िल-ए-चिराग भरता हूँ,
न छेड़ दिल को मेरे,
दर्द का अंगार लिए फिरता हूँ।
©Prashant Roy
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