I want our India... भारत की पावन गाथा में , अमर तु | हिंदी Poetry

"I want our India... भारत की पावन गाथा में , अमर तुम्हारा नाम ।। 1881 के चौदह अप्रैल को जन्म लियो माह दिसम्बर 1956 को देश से विदा लिये ऐसे कर्मवीर नायक को कोटि कोटि प्रणाम है जय हिंद जय भारत का करते सब गुणगान है । दलित समाज सुधारक को बाबासाहेब कहते है। जलते दीपक बनकर सदा हमारे दिल में रहते है ।। देश के लिये जिन्होंने विलाश को ठुकराया था। गीरे हुये को जिन्होंने स्वाभिमान सिखाया था। जिसने हम सबको तूफानों से टकराना सिखाया था। देश का वो था अनमोल दिपक जो बाबा साहब कहलाया था। पैदा कब मजहब होते हैं, वो तो माने जाते हैं । धर्म कौनसा हम मानेंगे ,दिल के भाव बताते हैं ।। धर्म जाति रोड़े गर बनते ,हमको उन्हें हटाना है । लिखी हमेशा किस्मत जाती, श्रम से ये समझाना है ।। अपना पथ खुद चुन के लोगों, चलें उसी पर ,इठलाएं । बाबा साहब के कदमों का, करें अनुसरण सुख पाएं । जय भीम ©Pradip Prasad"

 I want our India... भारत की पावन गाथा में , अमर तुम्हारा नाम ।।

1881 के चौदह अप्रैल को जन्म लियो
माह दिसम्बर 1956 को देश से विदा लिये
ऐसे कर्मवीर नायक को कोटि कोटि प्रणाम है
जय हिंद जय भारत का करते सब गुणगान है ।

दलित समाज सुधारक को बाबासाहेब कहते है।
जलते दीपक बनकर सदा हमारे दिल में रहते है ।।

देश के लिये जिन्होंने विलाश को ठुकराया था।
गीरे हुये को जिन्होंने स्वाभिमान सिखाया था।
जिसने हम सबको तूफानों से टकराना सिखाया था।
देश का वो था अनमोल दिपक जो बाबा साहब कहलाया था।

पैदा कब मजहब होते हैं, वो तो माने जाते हैं ।
धर्म कौनसा हम मानेंगे ,दिल के भाव बताते हैं ।।
धर्म जाति रोड़े गर बनते ,हमको उन्हें हटाना है ।
लिखी हमेशा किस्मत जाती, श्रम से ये समझाना है ।।

अपना पथ खुद चुन के लोगों, चलें उसी पर ,इठलाएं ।
बाबा साहब के कदमों का, करें अनुसरण सुख पाएं ।

जय भीम

©Pradip Prasad

I want our India... भारत की पावन गाथा में , अमर तुम्हारा नाम ।। 1881 के चौदह अप्रैल को जन्म लियो माह दिसम्बर 1956 को देश से विदा लिये ऐसे कर्मवीर नायक को कोटि कोटि प्रणाम है जय हिंद जय भारत का करते सब गुणगान है । दलित समाज सुधारक को बाबासाहेब कहते है। जलते दीपक बनकर सदा हमारे दिल में रहते है ।। देश के लिये जिन्होंने विलाश को ठुकराया था। गीरे हुये को जिन्होंने स्वाभिमान सिखाया था। जिसने हम सबको तूफानों से टकराना सिखाया था। देश का वो था अनमोल दिपक जो बाबा साहब कहलाया था। पैदा कब मजहब होते हैं, वो तो माने जाते हैं । धर्म कौनसा हम मानेंगे ,दिल के भाव बताते हैं ।। धर्म जाति रोड़े गर बनते ,हमको उन्हें हटाना है । लिखी हमेशा किस्मत जाती, श्रम से ये समझाना है ।। अपना पथ खुद चुन के लोगों, चलें उसी पर ,इठलाएं । बाबा साहब के कदमों का, करें अनुसरण सुख पाएं । जय भीम ©Pradip Prasad

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