लोग कई थे खड़े कतार में पर तुमसा कोई रहनुमा नहीं थ
"लोग कई थे खड़े कतार में पर तुमसा कोई रहनुमा नहीं था
हां यूं तो खेले और गए कई पर तुमसा कोई सुना नहीं था
कामयाबी खिताब श्रेय रुतबा अजी छोड़ो सब बौनी बातें हैं
तुम्हारे कद को जो कैद करले, ढूंढा पर ऐसा आईना बना नहीं था॥
हृदयवाणी।श्रीकांत पचहरा"
लोग कई थे खड़े कतार में पर तुमसा कोई रहनुमा नहीं था
हां यूं तो खेले और गए कई पर तुमसा कोई सुना नहीं था
कामयाबी खिताब श्रेय रुतबा अजी छोड़ो सब बौनी बातें हैं
तुम्हारे कद को जो कैद करले, ढूंढा पर ऐसा आईना बना नहीं था॥
हृदयवाणी।श्रीकांत पचहरा